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Currency Sanitizing Machine made by Gaurav and Komal, Assistant Professors of JCD College of Pharmacy
  • By webmaster
  • May 4, 2021
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Currency Sanitizing Machine made by Gaurav and Komal, Assistant Professors of JCD College of Pharmacy

जेसीडी कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी के सहायक प्रोफेसर गौरव और कोमल ने बनाई नोटों को सैनिटाइज करने वाली मशीन |

सिरसा 04-05-2021 : जेसीडी विद्यापीठ में स्थापित फार्मेसी कॉलेज के सहायक प्रोफेसर गौरव खुराना और कोमल खुराना ने मिलकर करोना वैश्विक महामारी के दौरान नोटों को अल्ट्रावायलेट रेज एवं थर्मल प्रोसेस कंबाइन के माध्यम से सेनीटाइज करके करोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए मशीन तैयार की है जो कि करोना जैसी वैश्विक महामारी को रोकने के लिए बहुत ही कारगर सिद्ध हो सकती है |

सहायक प्रोफेसर गौरव ने बताया नोट जो कि कागज की करेंसी कॉटन से तैयार होता है नोट की सत्ता खुरदरी होने के कारण उसमें नमी के साथ धूल मिट्टी के कण जमा हो जाते हैं इन कारणों की वजह से सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ जाती है नोट के माध्यम से करोना वायरस से ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं लोग खास करके छोटे नोट एवं पुराने नोट वे रोग फैलने का खतरा ज्यादा है क्योंकि यह नोट हर समाज के हर श्रेणी वर्ग के लोगों के हाथों से छूकर निकलता है तथा कई तरह के लोग नोटों पर थूक उंगली पर लगाकर गिनने का सहारा लेते हैं जिससे संक्रमण फैलने की संभावना अधिकतम हो जाती है | विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी माना है कि कागज के नोट से संक्रमण अधिक फैलता है जिससे कई प्रकार के खतरनाक वायरस बैक्टीरिया और फंगस इंफेक्शन खेल सकते हैं एक शोध में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने पाया कि एक नोट में लगभग 26000 बैक्टीरिया मौजूद हो सकते हैं जिससे बीमारी के साथ साथ रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है इसलिए इन नोटों को सैनिटाइज करना अत्यंत आवश्यक है इसका वैज्ञानिक प्रमाण भी है कि अल्ट्रावायलेट रेज-सी जोकि 40 सेकंड में करोना वायरस की लाइफ 99.7 परसेंट खत्म कर देती है तथा लगभग 65 से 70 डिग्री सेल्सियस से करोना वायरस को नष्ट किया जा सकता है और यह मेथड इको फ्रेंडली है क्योंकि इसमें किसी प्रकार का केमिकल या प्रदूषण की संभावना नहीं है। इस सैनिटाइजर मशीन से आप नोट के साथ साथ अपना मास्क, कार की चाबी ,गॉगल्स ,पैन ,पेपर एवं फ्रूट वेजिटेबल ,ब्रेड भी सैनिटाइज कर सकते हैं वही सहायक प्रोफेसर कोमल खुराना ने बताया कि कोरोना महामारी मे लोग जितना हो सके डिजिटल पेमेंट की राह पकड़े लेकिन कुछ लोगों को यह सुविधा के अभाव के कारण नोटों का उपयोग करना पड़ता है इसीलिए नोटों को सैनिटाइज करना आवश्यक है अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन की किरणों से कोविड-19 के वायरस 40 सेकंड तथा सभी प्रकार के माइक्रो ऑर्गेनिकजमस को 15 मिनट मे खत्म हो जाते हैं | इसका वैज्ञानिक प्रमाण है थर्मल प्रोसेस का उपयोग केवल ऐसी चीजों के लिए करें जोकि गर्म होने पर नुकसान ना हो |

गौरतलब है कि सहायक प्रोफेसर गौरव खुराना और कोमल खुराना को नोवेल रिसर्च अकैडमी, पांडिचेरी की एनएसपी पब्लिकेशन द्वारा बेस्ट फैकेल्टी अवॉर्ड फॉर फार्मास्यूटिकल साइंसेज 2020 एवं इंटरनेशनल एजुकेशन अवार्ड फॉर अकेडमिक एक्सीलेंस इन फार्मेसी अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है |

इस मौके पर जेसीडी कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी के प्राचार्या डॉ अनुपमा सेतिया ने बताया कि जेसीडी कॉलेज ऑफ फार्मेसी के अध्यापक एवं रिसर्च स्टूडेंट्स समय-समय पर बीमारियों के उपचार और मेडिसिन पर रिसर्च कर के समाज में योगदान करता रहता है |

जेसीडी विद्यापीठ के प्रबंध निदेशक डॉ. शमीम शर्मा ने इस अवसर पर सहायक प्रोफेसर गौरव और कोमल के द्वारा बनाई गई करंसी सैनिटिजेर मशीन की प्रशंसा की और उन्होंने बधाई भी दी और कहा कि लॉक डाउन का पालन कर के तथा नई रिसर्च करके आप समाज में इस वैश्विक महामारी को दूर करने में एक अहम योगदान दे सकते हो I डॉ शर्मा ने कहा की जेसीडी विद्यापीठ इस तरह की इनोवेटिव रिसर्च करने वाले स्टाफ को हमेशा प्रोत्साहित करता रहा है |

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